आयुर्वेदिक प्रणाली में इसे मधुमेह मोलिट्स तथा इसी तरह की हाइपो या हाइपर स्थितियों के प्रबंधन हेतु उपयुक्त माना गया है। इसकी पत्तियों का उपयोग पेट के रोगों, कब्ज, बवासीर एवं यकृत के रोगों में किया जाता है। साथ ही इसके फूलों, पत्तियों और फलों का उपयोग हाई व लौ बी पी (निम्न रक्तचाप) के उपचार में किया जाता है।