अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा होता है। अश्वगंधा की मांग इसके अधिक गुणकारी होने के कारण बाजार में बढ़ती ही जा रही है। अश्वगंधा की जड़ों में 0.13 से 0.31 प्रतिशत तक एल्केलाइड होते हैं जिसमें विटामिन महत्वपूर्ण है।
इस के नियमित इस्तेमाल से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए लाभकारी होते हैं। अश्वगंध में एंटी ऑक्सीडेंट, लिवर टॉनिक, एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल के साथ-साथ और भी बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को हेल्दी रखने में उपयोगी होते हैं।
अश्वगंध एक आयुर्वेदिक औषधि है। भारत में अश्वगंधा या अश्वगंध जिसका वनस्पतिक नाम वीथानीयां सोमनीफेरा होता है। इसके पूरे पौधे में औषधीय गुण पाए जाते है। सभी प्राचीन ग्रन्थों में अश्वगंधा के महत्त्व को दर्शाया गया है। इसकी ताजी पत्तियों तथा जड़ों में घोड़े के मूत्र की गंध आने के कारण ही इसका नाम अश्वगंधा पड़ा है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसकी मांग इसके अधिक गुणकारी और इसमें पाये जाने वाले औषधीय गुणों के कारण दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। अश्वगंध का पौधा ठंडे प्रदेशों को छोड़कर अन्य सभी भागों में बहुतायत पाया जाता है। वैसे तो इसका पूरा पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है लेकिन ज्यादातर प्रयोग इसकी जड़ का ही किया जाता है।
शरीर में आई हुई किसी भी प्रकार की कमजोरी को दूर करने में अश्वगंधा कारगर औषधि माना जाता है इसका नियमित सेवन करने से शरीर बलशाली और हष्ट पुष्ट हो जाता है। इसके लिए अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रात को सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ नियमित सेवन करने से शरीर में बल, वीर्य और ताकत में वृद्धि होती है।
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