ह्रदय रोग के आयुर्वेदिक उपचार | Ayurvedic treatment for heart disease |in hindi

हार्ट रोग का घरेलू उपचार : Heart disease Treatment at home in hindi

आजकल ह्रदय रोग बड़ो के साथ साथ युवाओ को भी अपनी चपेट में लेने लगा है अनियमित खानपान और लाइफस्टाइल, नींद की कमी,अत्यधिक तनाव जैसी समस्याएं ह्रदय रोग के प्रमुख कारण है। हार्ट के रोगी को ऐसा कोई भी भोजन करने से बचना चाहिए जो शरीर मे कफ की वर्द्धि करता हो।

निरोगी हेल्थ के इस आर्टिकल में जानेगे ह्रदय रोग के लक्षण, कारण और ह्रदय रोग के घरेलू उपचार तथा जीवनशैली में कौन कौन से बदलाव करने चाहिए आइये जानते है ह्रदय रोग के आयुर्वेदिक उपचार | Ayurvedic treatment for heart disease |in hindi

अनियमित दिनचर्या एवं अनियंत्रित खानपान, फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन, ज्यादा मात्रा में प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से गैस, एसिडिटी, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग, मोटापा, डायबिटीज जैसी बीमारियां उत्पन्न होती है।

प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थो के अत्यधिक सेवन करने से कोलेस्ट्रोल की उत्पत्ति होती है। जो रक्त वाहिकाओं के शिराओं में जमा होकर रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न करता करता है। जिसके कारण ह्रदय रोग, ब्लॉकेज, स्ट्रोक जैसी समस्याएं पैदा होती है।

हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण (Heart disease symptoms in hindi)

हार्ट ब्लॉकेज अलग-अलग स्टेज पर होती है। शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नहीं होते। सेकंड स्टेज में लक्षण आना शुरू होते हैं। शुरुआत में दिल की धड़कन का कम होना शुरू होता है। सेकंड या थर्ड स्टेज में हार्ट अटैक का दौरा भी पड़ सकता है। इसलिए इस स्टेज में इलाज की जरूरत होती है। हार्ट ब्लॉकेज के अन्य भी कई लक्षण है। जैसे

बार बार सिर में दर्द होना, चक्कर आना बेहोशी होना, सांस का फूलना, अधिक पसीना आना, छाती में भारीपन व दर्द होना, चलने व सीढ़ियां चढ़ने पर सांस फूलना, थकान अधिक होना, गर्दन बाजू व पीठ में दर्द होना, कमजोरी व ठंड लगना नींद ज्यादा आना आदि।

हार्ट ब्लॉकेज रोकने के घरेलू उपचार (Ayurvedic treatment for heart disease in hindi)

अर्जुन की छाल

इसका प्रयोग ह्रदय से जुड़ी बीमारियां जैसे कोलेस्ट्रोल, ब्लड प्रेशर, आर्टरी ब्लॉकेज, कोरोनरी आर्टरी डिजीज आदि के इलाज में अर्जुन की छाल का नियमित इस्तेमाल फायदा पहुंचाता है। यह कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखता है और दिल को स्वस्थ रखने में सहायक है।

आयुर्वेद के अनुसार अर्जुन छाल का उपयोग हार्ट ब्लॉकेज में किया जा सकता है। इसकी छाल को पानी में उबालकर तुलसी व नींबू डालकर नियमित सेवन करना ह्रदय रोग में फायदा पहुंचाता है।

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दालचीनी

वैसे तो दालचीनी का उपयोग अनेक बीमारियों में किया जाता है लेकिन हार्ट ब्लॉकेज के उपचार के लिए यह एक बहुत ही कारगर औषधि है। यह खराब कोलेस्ट्रोल को कम करती है व ब्लड को पतला करके हृदय को मजबूती प्रदान करती है।

इसमें मौजूद ऑक्सिडाइजिंग तत्व हमारे शरीर के लिए उपयोगी है। इसके नियमित इस्तेमाल करने से फेफड़ों को मजबूती मिलती है और दिल की बीमारियां कंट्रोल होती है।

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अलसी

अलसी के बीज रक्तचाप और सूजन को कम करने में आपकी मदद करते हैं। यह अल्फलिनोसेनिक एसिड का अच्छा स्रोत होता है। यह हृदय की धमनियों को नियमित साफ करने में सहायता करता है।

इसमें फाइबर भी अधिक मात्रा में पाया जाता है जोकि हमारे आमाशय और लीवर को शुद्ध रखने व पाचन तंत्र को मजबूत करने में हमारी मदद करता है।

लहसुन

यह रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करके रक्त परिसंचरण में सुधार करने में बहुत सहायता करता है। यह खराब कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने में भी सहायक होता है। वह हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को भी कम करने में सहायता करता है।

हृदय रोगों से बचाव के लिए सुबह उठते ही एक या दो लहसुन की कलियां चबाकर खाएं इसके अलावा ब्लॉकेज होने पर दो से तीन कली 150 ml से 200ml दूध में उबालें।

जब दूध आधा बच्चे तो इसे रात को सोते समय पीकर सो जाएं। इसका नियमित प्रयोग करने से दिल की बीमारियों के खतरों से बचा जा सकता है। साथ ही यह प्रयोग लकवा पैरालाइसिस के उपचार में भी लाभदायक होता है।

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हल्दी

यह दिल की बीमारियों से बचाव करने में बहुत लाभदायक है। हल्दी रक्त वाहिकाओं को खोलने में सहायक है। इसमें पाया जाने एंटीऑक्सीडेंट और anti-inflammatory गुण ब्लड को जमने से रोकने में भी बहुत सहायता करता है हल्दी खून साफ रखती है।

हृदय रोगों से बचने के लिए नियमित रात को सोते वक्त गर्म दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए।

लौकी का ज्यूस

लौकी का जूस नियमित पीने से ब्लड में अम्लता घट जाती है और ब्लॉकेज भी खुल जाती है। हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक उपचार करने के लिए क्षारीय वस्तुएं खाने की सलाह दी जाती है। लौकी के जूस में तुलसी की पत्तियां, नींबू का रस, पुदीना व सेंधा नमक मिलाकर पीने से ह्रदय रोगी को बहुत लाभ पहुंचता है।

यह रक्तचाप व कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करता है। इसलिए लौकी के जूस का नियमित सेवन करना दिल की बीमारियों से बचाने में बहुत मददगार होता है।

ह्रदय रोग के आयुर्वेदिक उपचार | Ayurvedic treatment for heart disease |in hindi
ह्रदय रोग का इलाज

पीपल के पत्ते

हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखने में पीपल के पत्ते बहुत लाभदायक होते हैं। ब्लॉकेज होने पर 5 से 6 पीपल के कोमल पत्ते, 5 से 6 तुलसी की पत्तियां लेकर 200 ml पानी में उबालें जब पानी आधा बचें तो छानकर ठंडा होने तक इंतजार करें। ठंडा होने के बाद इस जल का खाली पेट (सुबह उठते ही व दोपहर बाद) 7 दिन तक नियमित इस्तेमाल करते रहें। ये जल रोज तैयार करना है।

इसको पीने के बाद आधा घंटा तक कुछ भी न खाएं न पिएं। सात दिन गेप देने के बाद यही प्रक्रिया फिर दोहराएं। यह जल कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है और ब्लॉकेज भी खोलने में सहायता करता है। अतः हृदय के रोगी यह प्रयोग जरूर करें इससे उनको काफी लाभ होगा।

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दिल को स्वस्थ रखने के लिए जीवनशैली में बदलाव

  • हृदय को मजबूत रखने और ब्लॉकेज से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना आवश्यक होता है।
  • दिल के रोगी को नियमित योग, व्यायाम, प्राणायाम आदि एक्टिविटी करनी चाहिए।
  • ह्रदय रोगियों को धूम्रपान, अत्यधिक अल्कोहल, अत्यधिक चाय कॉफी, फास्ट फूड, जंक फूड, तली चीजें, डिब्बाबंद खाद्य व पेय पदार्थ, मलाई, मक्खन, घी, चॉकलेट, आइसक्रीम, अत्यधिक फेट वाला दूध आदि चीजों का सेवन उचित मात्रा में ही करना चाहिए। अगर हो सके तो इनका सेवन बंद कर दें और शरीर को स्वस्थ रखें एवं ह्रदय रोग से अपने आप को बचाएं।

FAQ : ह्रदय रोग के आयुर्वेदिक उपचार | Ayurvedic treatment for heart disease |in hindi

Q1. अटैक का दर्द कैसे होता है?

Ans  हार्ट अटैक का दर्द छाती के बीच में या बाहों, कंधे, गर्दन, जबड़े, पेट के ऊपरी हिस्से मैं एक अलग तरह का दर्द अगर ज्यादा समय तक रहता है साथ ही सांस लेने में तकलीफ, जी घबराना, थकान, चक्कर या पसीना ज्यादा आना जैसे लक्षण दिखाई दे तो यह हार्ड अटैक का दर्द हो सकता है।

Q2. दिल की धड़कन तेज होने के क्या कारण है?

Ans अगर किसी की दिल की धड़कन है तेज हो तो इसके पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे ब्लड प्रेशर का कम होना बुखार या किसी मानसिक तनाव आदि कारण भी हो सकते हैं। लेकिन अगर ऐसी समस्या लगातार रहती है तो सावधान रहने की आवश्यकता होती है और किसी डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

Q3. दिल कमजोर होने के लक्षण क्या है?

Ans  आज के समय में उचित खानपान न होने के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी व शारीरिक एक्टिविटीज ना करने के कारण हार्ट के रोगी बढ़ते ही जा रहे हैं। आजकल 25 – 30 वर्ष की उम्र के युवा ह्रदय रोग के शिकार बन रहे हैं। अगर किसी का सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलता हो या सांस लेने में परेशानी हो, खराटे आते हो, जबड़े में दर्द हो, शरीर के एक हिस्से में झुनझुनाहट जैसी समस्याएं हो तो चिकित्सक से परामर्श लेना या ह्रदय का चेकअप करवाना चाहिए।

इस आर्टिकल में लिखी गई स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है अतः किसी भी सुझाव को आजमाने से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लेंगे।

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