मिर्गी का अचूक इलाज | मिर्गी के लक्षण | Epilepsy treatment | in hindi

एपिलेप्सी के लक्षण, कारण और घरेलू उपाय : Epilepsy treatment in hindi

आयुर्वेद में मिर्गी को अपस्मार रोग कहा जाता है। मिर्गी रोग एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर यानि तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारी है। जिसमें रोगी के दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती है। मिर्गी का इलाज यानि Epilepsy treatment करने के लिए आयुर्वेद में कुछ जड़ी बूंटियाँ बताई गई है।

मिर्गी का दौरा कुछ समय के लिए ही पड़ता है और जब दौरा खत्म होता है तो इसके रोगी को बहुत गहरी नींद आ जाती है। मिर्गी का इलाज करने के लिए अपनी दिनचर्या और खानपान में कुछ बदलाव करने के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार और घरेलू नुस्खों से मिर्गी का इलाज (Epilepsy treatment) किया जा सकता है आइए जानते हैं मिर्गी का अचूक इलाज | मिर्गी के लक्षण | Epilepsy treatment | in hindi

मिर्गी रोग क्या है : What is Epilepsy in hindi

एपिलेप्सी (मिर्गी) कोई बीमारी नहीं है यह शारिरीक तंत्रिकीय गड़बड़ी (न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर) का एक लक्षण है। हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएं एक साथ मिलकर कार्य करती है और विद्युत संकेतों के द्वारा परस्पर संपर्क में रहती है। कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि किसी कोशिका समूह से असाधारण मात्रा में विद्युत प्रवाह पैदा होता है।

जिसके कारण दौरे या कुछ समय तक असामान्य व्यवहार, उत्तेजना और कभी-कभी बेहोशी भी आ सकती है। यह समस्या किसी को भी हो सकती है लेकिन यह छोटे बच्चों और अधेड़ लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है। मिर्गी के बहुत से कारण होते हैं इनमें से जेनेटिक्स भी एक है।

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मिर्गी के लक्षण : Symptoms of epilepsy in hindi

यह एक (Epilepsy) तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारी है और यह ज्यादातर छोटे बच्चों और अधेड़ लोगों में देखी जाती है। इस बीमारी के मुख्य लक्षण है जैसे

  • हाथ, पैर और चेहरे की मांसपेशियों में बहुत तेज खिंचाव होना
  • पैरो व हाथों  का अकड़ जाना
  • आंखों का तेज फड़कना और सिर का हिलना
  • पेट में दर्द होना
  • रोगी मुंह से झाग निकलना
  • रोगी को बेहोशी भी आ जाती है।

मिर्गी रोग होने के कारण (Epilepsy causes in hindi)

यह रोग नकारात्मक भावों के कारण उत्पन्न होता है जैसे अधिक चिंता करना, भय ग्रस्त रहना, क्रोध करना, ईर्ष्या तथा द्वेष करना, शोक में अधिक समय तक डूबे रहना आदि कारणों से मिर्गी का दौरा पड़ता है। इसके आलावा इसके और भी बहुत से कारण है जैसे

  • सिर में किसी प्रकार की चोट लगने के कारण।
  • जन्म के समय मस्तिष्क में पूर्ण रूप से ऑक्सीजन का आवागमन न होने के कारण।
  • ब्रेन स्ट्रोक होने पर ब्लड वेसल्स को क्षति होने के कारण।
  • न्यूरोलॉजिकल डिजीज जैसे अल्जाइमर रोग के कारण।
  • जेनेटिक कंडीशन के कारण।
  • दिमागी बुखार और इंसेफलाइटिस के इंफेक्शन से मस्तिष्क पर होने वाले प्रभाव के कारण।
  • कार्बन मोनोऑक्साइड के विषाक्त होने के कारण।
  • ड्रग एडिक्शन और एंटी डिप्रेसेंड के  के ज्यादा इस्तेमाल के कारण।

मिर्गी के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय : Epilepsy treatment in ayurveda in hindi

ब्राह्मी का सेवन

ब्राह्मी का पौधा परिसंचरण और तंत्रिका तंत्र संबंधी विकारों में बहुत उपयोगी होता है। उसे काढे के रूप में ले सकते हैं। या घी में भूनकर भी ले सकते हैं। इस मिश्रण का सेवन करने से ब्राह्मी शरीर में दोष का शमन कर शोधन थेरेपी के लिए तैयार करती है।

इसके सेवन से मस्तिष्क ठंडा रहता है। और याददाश्त भी बढ़ती है ब्राह्मी के सेवन से एपिलेप्सी में अटैक ज्यादा लंबे समय के लिए नहीं आते और ज्यादा गंभीर भी नहीं होते हैं। इसलिए ब्राह्मी का नियमित सेवन करना लाभदायक होता है।

शंखपुष्पी का सेवन

शंखपुष्पी एक दिमाग और मस्तिष्क को आराम देने वाली औषधि होती है। यह नसों को आराम देने वाली प्रमुख औषधियों में से एक है। जिसके पूरे पौधे का इस्तेमाल चिकित्सकीय उद्देश्य के लिए किया जाता है। आमतौर पर इसे ज्यूस, काढ़े, पेस्ट और पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

एपिलेप्सी के रोग से राहत पाने में शंखपुष्पी काफी मदद करती है। यह त्रिदोष को भी संतुलित कर के मन को शांति प्रदान करती है। और गहरी नींद पाने एवं चिंता और तनाव से मुक्ति दिलाने में मदद करती है। इसलिए एपिलेप्सी के रोगी को नियमित शंखपुष्पी का सेवन करना चाहिए।

शतावरी का सेवन

शतावरी त्रिदोष ( पित्त कफ और वात दोष) को साफ करती है। यह वात दोष के कारण पैदा हुए अक्रामक अटैक (दौरे) को भी आने से रोकती है। शतावरी का प्रयोग (इसके दानों का चूर्ण) दूध के साथ करने से मिर्गी रोग में लाभ मिलता है।

यह मस्तिष्क के कार्यो में अवरोध उत्पन्न करने वाले तमस को दूर करता है। एपिलेप्सी के इलाज के लिए शतावरी की जड़ का काढ़े या चूर्ण के रूप में प्रयोग करना भी बहुत लाभदायक होता है।

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वच का सेवन

वच एक औषधीय पौधा होता है। जो स्वास्थ्य से जुड़ी बहुत सी समस्याओं को ठीक करने में उपयोगी होता है। वच की जड़ों में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं। जो मानसिक समस्या दूर करने में लाभदायक होते है।

इसके अलावा इसका उपयोग एपिलेप्सी के उपचार (Epilepsy treatment) में भी किया जाता है। वच जड़ी बूटी के प्रकन्द (ऐसे कंद जो जमीन के अंदर पाए जाते हैं) का इस्तेमाल तंत्रिका तंत्र संबंधी विकारों के इलाज में किया जाता रहा है।

यह मस्तिष्क को उर्जा प्रदान करती है। और याददाश्त भी बढ़ाती है। और मस्तिष्क में खून के प्रवाह में सुधार लाती है। इसलिए मिर्गी के दौरों से छुटकारा पाने के लिए इसके प्रकन्द का चूर्ण बना कर इस चूर्ण का नियमित जल या दूध के साथ उपयोग करना काफी मददगार साबित होता है।

अश्वगंधा, जटामांसी और अजवायन का सेवन

अजवाइन, अश्वगन्धा व जटामांसी इन तीनों को बराबर मात्रा में ले कर चूर्ण बना लें और सुबह खाली पेट एक चम्मच की मात्रा में जल के साथ नियमित सेवन करना एपिलेप्सी के रोगी के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसके साथ बराबर मात्रा में मिश्री भी मिला सकते हैं।

यह मिश्रण तनाव और चिंता से राहत दिलाता है। जिसके कारण एपिलेप्सी के इलाज (Epilepsy treatment) में मदद मिलती है। जटामासी मन को शांत रखती है। और अजवाइन मस्तिष्क के दोष को ठीक करती है। अश्वगंधा में अनेक गुण औषधीय गुण पाए जाते हैं।

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मिर्गी रोग के घरेलू उपाय : Epilepsy treatment at home in hindi

तुलसी का प्रयोग

मिर्गी का इलाज करने में तुलसी भी कुछ सहायक मानी जाती है तुलसी का सेवन सेहत के लिए काफी गुणकारी माना जाता है। एपिलेप्सी का दौरा पड़ने पर रोगी की नाक में तुलसी के रस में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर एक बूंद डालने से एपिलेप्सी के रोगी को तुरंत लाभ मिलता है।

करौंदे का प्रयोग

एपिलेप्सी से पीड़ित रोगियों को समय समय पर करोंदे के पत्तों से बनी चटनी का सेवन करना चाहिए। अगर इसका सेवन नियमित किया जाए तो और भी बेहतर  परिणाम होगा। इसका प्रयोग करने से एपिलेप्सी के रोगियों को दौरे नहीं पड़ते या पड़ने कम हो जाते हैं।

शहतुत का प्रयोग

एपिलेप्सी के रोगियों को दौरे पड़ने के बाद होश में आने पर शहतुत और सेव का रस मिलाकर इसमें थोड़ी सी मात्रा में हींग मिलाकर पिलाना काफी लाभदायक होता है। इसके सेवन से दौरे का प्रभाव जल्दी खत्म होकर रोगी को सामान्य होने में मदद मिलती है।

मिर्गी के आयुर्वेदिक उपाय : Epilepsy treatment tips in hindi

इस रोग का उपचार (Epilepsy treatment) करने के लिए कुछ आयुर्देदिक जड़ी बूंटिया भी है। एपिलेप्सी के रोगी को पीसी हुई राई, कपूर, तुलसी रस, लहसुन रस, आक की जड़ की छाल का रस, नींबू का रस इनमें से किसी भी चीज को सुंघाया जाए तो एपिलेप्सी के रोगी को तुरंत लाभ मिलता है और रोगी बहुत जल्द सामान्य स्थिति में आ जाता है।

पीपल, चित्रक, चक, सौंठ, पीपला मूल, त्रिफला, बायबिडंग, सेंधा नमक, अजवाइन, धनिया, व सफेद जीरा इन सब को बराबर मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण बनाकर कपड़े से छान करके रख लें इस चूर्ण की चौथाई छोटा चम्मच की मात्रा पानी के साथ नियमित सेवन करने से एपिलेप्सी के रोगी को बहुत लाभ मिलता है और दौरे पड़ने बहुत कम हो जाते हैं।

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FAQ : अक्सर पूछे जाने वाले सवाल जबाब

Q1. मिर्गी रोग के लक्षण क्या होते हैं ?

Ans इस रोग में सामान्यतः रोगी बेहोश हो जाता है और पूरा शरीर अकड़ जाता है व झटके आने लगते हैं। रोगी की आंखें ऊपर की तरफ खींच जाती है और दांत भी जुड़ जाते हैं व मुंह से झाग निकलने लगते हैं।

Q2. मिर्गी के रोग में कौन कौन सी जान से होती है ?

Ans मिर्गी के लिए बहुत सी जाँचे होती हैं जैसे ई. ई.जी, ब्रेन मेपिंग, सीटी स्कैन, एम.आर.आई. पी.ई.टी. आदि

Q3. क्या घरेलू उपचार से मिर्गी का कारगर इलाज हो सकता है ?

Ans  इसके इलाज (Epilepsy treatment) के लिए धैर्य रखना आवश्यक होता है। घरेलू उपचार से इस रोग को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

Q4. क्या मिर्गी संक्रामक रोग है ?

Ans  यह एक मानसिक बीमारी है व मस्तिष्क से जुड़ी एक कोशिकाओं से संबंधित समस्या है यह संक्रामक रोग नहीं है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज इस लेख में हमने जाना मिर्गी क्या है मिर्गी का रोग होने के कारण और इसके लक्षण क्या है तथा मिर्गी का आयुर्वेदिक उपचार (Epilepsy treatment) और इस रोग में क्या खाने से फायदा होता है। इस आर्टिकल के बारे में आपके कोई भी सुझाव या सवाल हो तो कमेंट में लिख सकते है।

इस आर्टिकल में दी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है। अतः किसी भी सुझाव को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लेवें।

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-: लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद :-

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